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Saturday 4 January 2020

Benefits of Punishments In School


Benefits of Punishments In School

स्कूल में सजा होने के सही फायदे

स्कूल में सजा होने के फायदे! कही यह लेख लिखने वाले का दिमाग तो ख़राब नहीं हुआ? ऐसा ही सवाल इस ब्लॉग का टाइटल पढ़के आपके दिमाग में आया होगा मगर ऐसा कुछ भी नहीं मेरा दिमाग बिकुल सही और स्वस्त है और आज में आपको स्कूल में सजा होने के सही फायदे बताने वाला हु तुह यह लेख पूरा पढियेगा|


बचपन में हब सभी कोई कोई शरारत तो जरूर करता होगा | दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं जिसने अपने बचपन में कोई शरारत की हो तोह चाहे वह घर हो या स्कूल जहा मौका मिला शैतानी करने से कोई नहीं चूका और इसी वजह से हमने कई बार अपने शिक्षकों द्वारा छोटी मोटी सजा भी मिलती थी| हां मगर ये और बात है की उस वक़्त हमे अपनेही दोस्तों के सामने शिक्षकों द्वारा सजा दिए जाने पर गुस्सा भी आता था मगर क्या आप जानते है की यदि उस वक़्त हमे सजा नहीं मिलती तो उसमे हमारा ही नुक्सान होता! जी हां आपने अभी जो पढ़ा है वह बिलकुल सही है | शिक्षकों की सजा के पीछे एक अनोखी और अनमोल सिख छिपी होती है और ये हुमारेलिए जीवन में काफी फायदेमंद साबित होती है | तो चलिए जानते है स्कूल के सजा होने के सही फायदे|



स्कूली सजा का मूल उद्देश्य

स्कूल को विद्या का मंदिर माना गया है और शिक्षकों को गुरु | भारत में गुरुओ को स्वं ब्रम्हा, विष्णु और महेश का स्थान गया है तो सोचिये गुरुओ का होना  हमारे जीवन में कितना महत्व है| स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बानी रहे ताकि बच्चे अच्छी तरह से पढ़ पाए इसकी पूरी जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पे होती है इसलिए यदि कोई विद्यार्थी वर्ग में किसी प्रकार की शरारत करे तो ना चाहते हुए भी शिक्षक को उस विद्यार्थी को देनी पढ़ती है ताकि अन्य विद्यार्थियों को परेशानी हो और स्कूल में अनुशासन बरक़रार रहे | ऐसा करने से कभी कभी कोई विद्यार्थी इससे अपना अपमान समज  शिक्षकोंसे गलत व्यवहार भी करते है लेकिन ऐसा करना उन्ही के भविष्य के लिए हानिकारक साबित होगा क्यूंकि दुनिया का कोई भी अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थी को एक सफल इंसान बनता देखना चाहेगा|

स्कूल के गरिमा और मोहोल को बरक़रार रखना


स्कूल और शिक्षकों को समाज  में एक उच्चा दर्जा दिया गया है | माँ - बाप अपने बच्चो  को स्कूलों में इसीलिए धखला दिलवाते है ताकि वह शिक्षा के साथ शिष्टाचार और अनुशाशन की भी शिख ले इसलिए अगर कोई विद्यार्थी इस कार्य में बाधा प्रकट करता है तो शिक्षकों को उन्हें सजा देना अनिवार्य होता है ताकि अन्य विद्यार्थियों को पढाई में  किसी भी प्रकार की बाधा या कठिनाई हो| शिक्षकों को भी चाहिए कि वे सजा के तौर  पे ऐसा कोई भी कदम का उठाये जिससे विद्यार्थी को किसी प्रकार की मानसिक या शरीक ष्यति पहुंचे  और स्कूल की गरिमा और मोहोल बरक़रार रहे

प्राधिकरण के प्रति सम्मान

सजा देने का मूल उदेस्य सिर्फ विद्यार्थी को  अपने गलती का अहसास करना ही नहीं बल्कि अपने सहपाठियों और शक्ष्यको के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना भी होता है | कुछ शक्ष्यको का यह भी मन्ना है की कुछ देर के लिए विद्यार्थी  को वर्ग से बहार करने से उससे आत्मा चिंतन का समय मिलेगा ताकि वह अपनी गलती को मानते हुए भविष्य में उससे दोहराये|

कोई भी शिक्षा संस्था हो तो चाहे वह स्कूल या कॉलेज हो ये सब हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है यह हमे हमारे भविष्य को बनाने बहुत ही अहम् भूमिका निभाते  है और इस दौरान हम ऐसी कोई भी शरारत करते है जिससे की हमारे सहपाठियों या  शिक्ष्यको को वर्ग में अनुशाशन बनाये रखने में कठिनाई हो तो इससे सिर्फ और सिर्फ हमारा ही नुक्सान होगा |


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